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आत्मविश्लेषण
अरे,रुक कुछ देर,ओ जानवरों में श्रेष्ठ
मत बोल किसी भाषा में।
मत चला हाथ कुछ पाने की अभिलाषा में।
कर आत्मविश्लेषण बन जा ज्येष्ठ
ओ मानव , जीवों में श्रेष्ठ ॥

जीवन तुझ में हैं, हैं औरों में भी।
फिर क्यों निर्जीवों सा व्यवहार करें औरों से।।

रोक हर युद्ध को,जिसमे एक जीवन पर जीवन को छीने
रोक हर झगड़े को,जिसमे कोई न जीते ॥

रुकने का अर्थ मृत्यु नहीं,
चुप रहने का मतलब उदासीनता नहीं।।

फूलों के खिलने से पहले, सावन के आने से पहले
हर पत्ता झड़ जाता है,फूल भी मुरझा कर नीचे गिर जाता हैं।
परन्तु ये तो वृक्ष का अंत नहीं
आत्मविश्लेषण की अवधि हैं
जो प्रकृति सदैव बतलाती रहती हैं।

©सञ्ज्ञारहित

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