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मेरे राम ✍️✍️✍️
पैरों में पड़ी धूल में वजूद खोने का अब समय नहीं है
गरजेगा तू इस भूमण्डल में इस बात में विस्मय नहीं है
नजर उठा कर एक बार अपने पैरो की धुल को देख
पिघले हुए लावे जैसी सामर्थ्य की शक्ति को समेट
तुम चलोगे तो धरनी के सब कंकर पत्थर फूल बनेंगे
तुम्हारा साहस शौर्य तुम्हारी महानता का मूल बनेंगे
अपनी मुट्ठी से अविश्वास की छाती पर प्रतिकार हनो
तिनकों सा हर बार झुकना क्या अब हथियार बनो
निराशा दुःख और तानों को काट कर गंगा में बहा दो
स्वयं को पहचानो सुमेरु पर्वत को जंघा से ढहा दो
भरत अंश तुझमे है हाथ बढ़ा कर सिंह के दांत गिनलो
कायरता छोड़ अब नचिकेता बनकर काल से मिल लो
परमार्थ को तेज बनाओ धुर अग्नि प्रज्ज्वलित करो
संकट से घबराना कैसा राम का पौरुष सम्मिलित करो
दसो दिशाओं से आने वाला दसकंधर मृत्यु वरण करेगा अपमान का नहीं निज स्वाभिमान का अनुसरण करेगा
गर्जना कर की समग्र विश्व में तू गुंजायमान हो जाए
तुझमे असहाय बैठे सिंह का सबको अनुमान हो जाए
आसान नहीं है खुदमे सिंह ढूंढना अनवरत तपना पड़ता है
सफल होने हेतु निरंतर जूझना अथक थकना होता है
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻