माँ
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने मुझे लिखना सिखाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसके लिए मैं इस दुनिया में आया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने हजारों से लढ़कर मुझे पढ़ाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने खुद हारकर भी मुझे जिताया
क्या लिखूं मैं उसपर
जो मेरे एक खुशी के लिए अपना सबकुछ लुटाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने खुद ना खाकर भी मुझे खिलाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने खुद जागकर मुझे सुलाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसके हर एक ख्याल में मुझको ही पाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने मुझे इस काबिल बनाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसके लिए मैं इस दुनिया में आया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने मुझे लिखना सिखाया ।।
© All Rights Reserved
जिसने मुझे लिखना सिखाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसके लिए मैं इस दुनिया में आया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने हजारों से लढ़कर मुझे पढ़ाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने खुद हारकर भी मुझे जिताया
क्या लिखूं मैं उसपर
जो मेरे एक खुशी के लिए अपना सबकुछ लुटाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने खुद ना खाकर भी मुझे खिलाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने खुद जागकर मुझे सुलाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसके हर एक ख्याल में मुझको ही पाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने मुझे इस काबिल बनाया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसके लिए मैं इस दुनिया में आया
क्या लिखूं मैं उसपर
जिसने मुझे लिखना सिखाया ।।
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