...

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याद
यक़ीनन तुम भी मेरे बारे कभी सोचते होगे
भले ही इक भटकती मुख़्तसर सी याद आ जाए
कभी बीते हुए लम्हात की एक ख़ुशनुमा झलकी
किसी दिन ख़्वाब के रस्ते अचानक सामने आये
कभी ऐसा भी होता हो कि मेरी शाइरी को तुम
हमारी याद में खोकर उसे तन्हा जो पढ़ते हो
तो उन अल्फ़ाज़ से मेरी कभी आवाज़ आती हो
तुम्हारी लब कुशाई होती है जब मेरी ग़ज़लों से
यक़ीं जानो तो मुझको ये मालूम होता है
तुम्हारे लब पे आ जाने का ये अच्छा तरीक़ा है
वहीं से फूल की मानिंद...