...

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माँ
हर तकलीफ खुद सहती है
किसी से कुछ न कहती है
हर आहट पर दौड़ी जाए
कहीं सोया बच्चा उठ न जाए
अपने बच्चे की नींद के लिए तो वह
रात रात भी न सोती है
सारे रिश्ते अलग रखो
एक बच्चे की मां वो होती है
प्यार उसका नहीं नापा जाता
स्नेह उसका नहीं आंका जाता
पूछो उससे, उस पर कितना सुख बीतता है जब उसका बच्चा
पहले मां बोलना सीखता है
सब को बुला कर वह सुनाती है
अब इसने यह सीखा
बार-बार बताती है
सारे रिश्ते अलग रखो
एक बच्चे की मां वो होती है
माँ ही उसे संभालती है
जब बच्चा किसी बात पर फिसलता है
और बच्चे के मुंह से भी दुख में
मां शब्द ही निकलता है
बड़े स्नेह और प्रेम से उसे पालकर
बड़ा करती है
सारे रिश्ते अलग रखो
एक बच्चे की मां वो होती है
प्रेम में उसके स्वार्थ नहीं होता
बिना मां के कोई परमार्थ नहीं होता
जब बच्चे को थोड़ा भी दुख होता है
तो सिर्फ दुखी होने पर
बच्चे की मां के आंख में आंसू होता है
लेकिन क्यों, लेकिन क्यों शादी होने पर बेटे का स्वभाव बदल जाता है
क्यों, क्यों वह बीवी के आने पर अपनी मां को भूल जाता है
फिर क्यों वो अपनी मां की बातों को अनसुनी करता है
फिर मां उसे कुछ कहती है
तो क्यों उसे इतना बुरा लगता है
क्यों वो मां का त्याग भूल जाता है
क्यों वो मां का प्यार भूल जाता है
फिर तब क्यों उसको दुखी होने पर मां का नाम याद नहीं आता है
लेकिन फिर भी
फिर भी मां का प्यार कम नहीं होता
मां की आंखें तब तक जागती हैं
जब तक उसका बेटा घर आकर
चैन से नहीं सोता
शायद भगवान खुद धरती पर नहीं आ सकता इसलिए उसने मां को बनाया है
तभी तो हर माँ में भगवान समाया है ।