...

9 views

कभी कभी नाराज़गी भी ज़रूरी है
हर दफा इज़हार ऐ मोहब्बत करूँ,
ये मुमकिन नही मेरे लिए,
क्योंकि इश्क़ के बीमार के लिए,
कभी कभी नाराज़गी भी ज़रूरी है...!

हर दफा तुम्हारी फिक्र करूँ,
ये मुमकिन नहीं मेरे लिए,
क्योंकि हसीन चाहत के दरमियान,
कभी कभी बेफ़िक्री भी ज़रूरी है...!

हर दफा मुस्कुरा कर बातें करूँ,
ये मुमकिन नहीं मेरे लिए,
क्योंकि मुस्कुराहट के संग भी,
कभी कभी झगड़ना भी ज़रूरी है...!

हर दफा तुम्हारे पास आकर मना लूं,
ये मुमकिन नहीं मेरे लिए,
क्योंकि मना कर तुम्हे यूँ खिलखिलाना,
कभी कभी रूठना भी जरूरी है...!

हर दफा तुम पर हक़ जताऊं मैं,
ये मुमकिन नहीं मेरे लिए,
क्योंकि हक़ को दूर थोड़ा कर दूँ,
कभी कभी आज़ाद रखना भी ज़रूरी है...!
© रोहित शर्मा "Arjun"