...

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त्याग
छोड़ दिया वो नींदो का डेर, छोड़ दिया वो आरामो का मेला
नये जन से लगा लगाव,मिला दूसरे "घर-जनसे" हुआ अकेला
तैयार आज में पुरा लगाने वो दौड़,जो बंद आँखे लगाती वर्षों से
ना जाने कितने दर्द,आँसू, पीगए, इससे पाने के लिए हर्षो से

तना सीना,स्थिर नजर रख, हम देश के जवान,सदेव यहाँ खड़े है
शत्रु करके तो देखे एक प्रयास, अंतिम सांस तक हम लड़े है
सब कुछ बदल गया होगा,...