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"मेरी मजबूरियां और उनकी आशाएं"
पहले ही कहा था कि मुझे न इतना प्यार दो,
अब क्यूं कह रहे हो कि वापस मेरा उधार दो।
समझ सकता हूं कि आपकी चाहत क्या है?
मैं मजबूर हूं, तुम्हीं बताओ अब राहत क्या है?

पनपते प्यार को संभाल रखा है मैंने।
तुम्हारे खूबसूरत दिल को खंगाल रखा है मैंने।
हालात तुम भी समझ सकते हो कि अब दौर क्या है?
बना दिया है मुमताज़ तुमको, खुद को कंगाल रखा है मैंने।
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