आजादी पर्व
भूल कर अपनी सभ्यता तुम
आज आजादी पर्व मनाते हो
ढोंग समझ रिवाजों को तुम
खुद को आधुनिक बतलाते हो
करते हो अपमानित जिस स्त्री को
फिर किस हक से उसकी पूजा करते हो
बात जब हवस मिटाने की हो तो
बच्चियों से भूख मिटाते हो
मार...
आज आजादी पर्व मनाते हो
ढोंग समझ रिवाजों को तुम
खुद को आधुनिक बतलाते हो
करते हो अपमानित जिस स्त्री को
फिर किस हक से उसकी पूजा करते हो
बात जब हवस मिटाने की हो तो
बच्चियों से भूख मिटाते हो
मार...