बात विचारों की
लिखी गई एक कहानी नाम ए बन्धन की
सोच रखी गई खुदकी
और लफ्ज़ लिखे गए रीति रिवाजों की..!
वो घर , वो आंगन, वो देहलीज़ और बचपन
ना लगाए बेड़ियाँ कभी ,
गूंजते थे रिश्तों में धुन , जो थी मेरी पायल की...!
बाबुल का घर , ना है कोई दौर
जो छुट जाए दिल से , मुझे डर नहीं किसी रीत की..!
है प्यारा हर आंगन, जहाँ...