अगले जन्म मोहे ,,,,,,
उसके चेहरे पे हल्के से निशान थे
बदन भी था सहमा हुआ
फफक के वो रो पड़ी
जब चुके से मैने पूछा सखी से मेरी
बता तो सही क्या हुआ
मेरा हर दिन इतनी पीड़ा से भरा क्यों है सखी
क्या इसी दिन के लिए कहते इसे सौभाग्य है
अपमान घृणा तिरस्कार
हर रोज...
बदन भी था सहमा हुआ
फफक के वो रो पड़ी
जब चुके से मैने पूछा सखी से मेरी
बता तो सही क्या हुआ
मेरा हर दिन इतनी पीड़ा से भरा क्यों है सखी
क्या इसी दिन के लिए कहते इसे सौभाग्य है
अपमान घृणा तिरस्कार
हर रोज...