फूल मोहब्बत का...
उन जुल्फों की सैर मत पूछो ,ये पूछो उस रात क्या किया था
इशारों में हाँ किया था, हक़ीक़त में क्या किया था
आराइश-ए-दीद उन नैनों की ,फ़क़त हमने चराग़ रखा था
जुर्म-ए-फ़ितरत उन लबों को,मुसलसल वजीफ़ा अर्ज किया था
होश उड़ा था...
इशारों में हाँ किया था, हक़ीक़त में क्या किया था
आराइश-ए-दीद उन नैनों की ,फ़क़त हमने चराग़ रखा था
जुर्म-ए-फ़ितरत उन लबों को,मुसलसल वजीफ़ा अर्ज किया था
होश उड़ा था...