...

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ग़ज़ल
ऐ दिल बता मुझे वो ज़माने कहाँ गए
वो लोग मेरी बस्ती के जाने कहाँ गए

सुनकर जिन्हें खिंचे चले आते थे हम कभी
वो गीत, वो ग़ज़ल, वो तराने कहाँ गए

जिन डालियों पे हमने बसेरा किया था कल
वो डालियाँ, वो फूल सुहाने कहाँ गए

हाँ एक बार शहरे-सितमगर ये तो बता
मिलते थे हम जहाँ वो ठिकाने कहाँ गए

रहते थे खोए-खोए से ख़ामोश हर नफ़स
किस से पता करूँ वो दिवाने कहाँ गए

लाई है जिनकी याद मुझे खींचकर यहाँ
वो दोस्त, वो अज़ीज़ पुराने कहाँ गए

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