...

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कभी पढ़ी न मोहब्बत।
जिंदगीभर हम लाख
कोशिश करते रहे।
तेरी आंखों में मगर
कभी चढ़ी न मोहब्बत।
बस किताबों में अपनी
तुम उसको ढूंढते रहे।
मेरी आँखों में तुमने
कभी पढ़ी न मोहब्बत।
© वरदान