...

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तुम
तुम,
क्या हो मेरे लिए,
एक ब्रह्म,
या एक सचाई,
जिससे में दुर रहना भी चाहती हूं,
पर रह नही पाती,
तुम,
एक इबादत तो नही पर
उससे कम भी नहीं हो मेरे लिए,
तुम,
और में,
क्यों हम ना बने,
क्यों अपनी मोहब्बत इज़हार करके भी...