...

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है खामोश फिर एक सहर न जाने क्यों
है खामोश फिर एक सहर न जाने क्यों
है कुछ मुश्किल और केहर न जाने क्यों

अजीब तमाशायी है यहाँ सब और अनजान
खरीदी जाएंगी सांसें हर पहर न जाने क्यों

एक तरफ...