...

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है खामोश फिर एक सहर न जाने क्यों
है खामोश फिर एक सहर न जाने क्यों
है कुछ मुश्किल और केहर न जाने क्यों

अजीब तमाशायी है यहाँ सब और अनजान
खरीदी जाएंगी सांसें हर पहर न जाने क्यों

एक तरफ चीखें एक तरफ सन्नाटा है यहाँ
है शुरू यहाँ मौत से लड़ने का सफर न जाने क्यों

बीते से न बीत रहा है ये दौर है क्या
हर दिन ले जाता है जाने ये शहर न जाने क्यों

बस एक उम्मीद ए रब का सहारा बाक़ी है सारिम
खौफ मै हर बशर ऐसा है हशर न जाने क्यों

© Sarim