...

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तन्हाई
#loneliness
सुबह शाम की दूरी बढ गई,
सिमट गई है रात ।
दिन ने अपना पैर पसारा,
बढा सूर्य का ताप ।
तब भी तन्हा दिन कटते थे,
तन्हाई है आज ।
ना कोई संगी ना ही साथी,
जो कोई बैठे पास ।
हर उम्र की एक ख्वाहिश होती है,
अपना भी कोई साथी होता,
कोई तो होता साथ ।
जिससे दिल की बातें करते,
कटते दिन और रात ।
लेकिन ये किस्मत होती है,
किसी को साथी मिल जाते हैं,
तन्हाई किसी के साथ ।
© Nand Gopal Agnihotri