...

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सुन ऐ मेरी ज़िन्दगी
सुन ऐ मेरी जिंदगी,,
आ बैठ आज तू पास मेरे।
क्यों हमें थामने के लिए,,
नहीं उठते कभी भी हाथ तेरे।

बचपन में ही तूमने हमें,,
जिम्मेदारी का दामन पकड़ा दिया।
हंसने खेलने की उम्र में तुमने,,
हमें तुफानों से टकरा दिया।

छोड़ दिया था साथ सब ने,,
हम फिर भी मुसीबतों से लड़ते रहे।
गिर जाते खुद ही संभल जाते,,
फिर संभलकर आगे बढ़ते रहे।

तेरी हर कसौटी को हमने,,
हमेशा सिर माथे पर लिया हैं।
एक दिन तो खड़ो गी हक में मेरे,,
यही सोचकर कभी कोई गिला नहीं किया है।

आखिर कब तक बताओं ना कब तक ,,,
यह दर्द का सिलसिला चलता जायेगा।
बता ना ऐ मेरी जिंदगी,,,
मेरी जिंदगी में कब सुकून का पल आयेगा।

दो घड़ी आ सुन हाल दिल का ,,
आ कुछ सवालों के जवाब दें,,
हमारे भी तो कुछ सपने हैं,,
हमें भी तो सपने पूरे करने का हक दें।

कभी तो तरस कर मुझ पर,,
बिना तरसाए कोई तो ख्वाइश पूरी कर दें।
टूट रहा है अब तो बांध सब्र का,,
सुन ना ,,,,अब आजमाईश का अंत करदे।

✍️✍️✍️✍️ परम 🌹💚

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