संतुलन....🖊️🌅
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पलट सकता है पूरी दुनिया के नक्शे को किसी भी तरफ़
इंसान ने देखो कैसा यह दिमाग अजब गजब सा पाया है
लेकिन हैरानी की ये है बात, दिमाग ही है, जिसने हर बार
विचित्र मुसीबतों को जाने अनजाने ज़िंदगी में बुलाया है
दिल से ही सोचता रहे अगर इंसान, तब भी तो मुश्किल है
भावुकता में फैसले लेने वाला भी अक्सर ही पछताया है
किया क्या जाए फिर ज़िंदगी के इस सफ़र पर चलते हुए
दोधारी तलवार सी इस स्थिति ने इंसान को उलझाया है
दिल दिमाग में किसी तरह संतुलन रहे तो, शायद बात बने
चाहा हुआ सब मिल जाए, ऐसा भी कहाँ भला हो पाया है
© संवेदना
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