अगर जाना ही था
अगर जाना ही था किसी रोज़ छोड़कर मुझे,
तो दिल को मेरे तड़पाने तुम आती क्यूं हो ?
अगर नहीं आता तुम्हे किए वादे निभाना,
तो पहले झूठी कसमें तुम खाती क्यूं हो ?
अगर काटने ही थे मेरी ख्वाहिशों के पर तुम्हें,
तो पहले सपनों का आसमां दिखाती क्यूं हो ?
महफिले मेरी, मयखानों में बदल जाएंगी,
तो आशिक़ से साकी तुम मुझे बनाती क्यूं हो ?
मेरे बारे में सब कुछ जानते हुए भी तुम,
मेरे दिल की चौखट पर आकर जाती क्यूं हो ?
© Nits
तो दिल को मेरे तड़पाने तुम आती क्यूं हो ?
अगर नहीं आता तुम्हे किए वादे निभाना,
तो पहले झूठी कसमें तुम खाती क्यूं हो ?
अगर काटने ही थे मेरी ख्वाहिशों के पर तुम्हें,
तो पहले सपनों का आसमां दिखाती क्यूं हो ?
महफिले मेरी, मयखानों में बदल जाएंगी,
तो आशिक़ से साकी तुम मुझे बनाती क्यूं हो ?
मेरे बारे में सब कुछ जानते हुए भी तुम,
मेरे दिल की चौखट पर आकर जाती क्यूं हो ?
© Nits