सब्र
ऐ गुल जरा सब्र तो रख,ज़मी भी होगी मुकाम भी होगा,
मंज़िले दूर कितनी ,ये फासला तय कर के ही पता होगा,
डूबते सूरज को वापस आना होगा,
तेरी मेहनत की...
मंज़िले दूर कितनी ,ये फासला तय कर के ही पता होगा,
डूबते सूरज को वापस आना होगा,
तेरी मेहनत की...