छत्तीस टुकड़े - मूढ़ माता पिता और संतान ✍️✍️✍️
छत्तीस टुकड़े - मूढ़ माता पिता और संतान ✍️✍️✍️
मासूम जरा चेहरा करके, आखों को थोड़ा नम करके
वो जब भी पकड़ा जायेगा हथकड़ी में जकड़ा जाएगा
पूछूंगा उससे एक सवाल ना आयी लाज करते ये हाल
ग्रीवा को पल में काट दिया जैसे थे बकरी रहे पाल
जिन हाथों ने तुमको थामा वो फ्रिज में तुमने ठूस दिए
कुछ तो उसके सपने होंगे जो आग लगा के फूँक दिए
छल कपट झूठ ये वस्त्र तेरे तुम प्रेम ककहरा क्या जानो
तुम ढूंढो ममता और पायल फिर कहो उसे ममता बानो
पहले दिखलाते सब्ज बाग़ फिर सूटकेस में दफ़न किया
तुम जाहिल कैसे...
मासूम जरा चेहरा करके, आखों को थोड़ा नम करके
वो जब भी पकड़ा जायेगा हथकड़ी में जकड़ा जाएगा
पूछूंगा उससे एक सवाल ना आयी लाज करते ये हाल
ग्रीवा को पल में काट दिया जैसे थे बकरी रहे पाल
जिन हाथों ने तुमको थामा वो फ्रिज में तुमने ठूस दिए
कुछ तो उसके सपने होंगे जो आग लगा के फूँक दिए
छल कपट झूठ ये वस्त्र तेरे तुम प्रेम ककहरा क्या जानो
तुम ढूंढो ममता और पायल फिर कहो उसे ममता बानो
पहले दिखलाते सब्ज बाग़ फिर सूटकेस में दफ़न किया
तुम जाहिल कैसे...