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पाप की मटकी फोड़ने आ जाओ कान्हा

जन्माष्टमी कैसे मनाएँ
अब तुम ही बताओ कान्हा
अब बहुत हो गया अत्याचार इस धरा पे
माखन से नहीं
पापियों के पाप से मटकी भर गई
अब इस मटकी को फोड़ने का
कुछ तो जतन करो
अब तुम इस धरा पे
मटकी फोड़ने आ जाओ कान्हा
राह निहारे दिखती हर बाला

हे कान्हा अब तुम चीर बढ़ाने क्यों नहीं आते
क्या कलयुग में तूम्हारे भक्तों को
तुमसे प्यार नहीं
या फिर अत्याचारियों के खिलाफ
तुम्हारे तरकश में कोई...