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दर्द और तड़प
भाँप ले जो मुस्कुराहट के पीछे का दर्द,
किसी में वो नज़र नहीं मिला अब तक,
किससे बयाँ करते हाल-ए-दिल अपना,
इसलिए ख़ुशी का नक़ाब ओढ़ा अबतक,
ज़माना है तंगदिल दूसरों के रंजोगम से क्या,
औरों को देख तड़पते मिलता है इन्हें मज़ा,
मैं भी ना बन जाऊँ सरेआम किरदार मजाकिया,
इसलिए ख़ुद से छलावा कर रही अबतक,
मेरे आँसू तन्हाई मेरी तकलीफ़ का जायज़ा कौन ले,
जिसे हमदर्द समझा कभी ज़ख्म को नासूर वही करे,
अब सीख गये हैं जीना घुटन में भी जिंदादिली से,
अपने गमों का मर्ज इसलिए बनी हुई अबतक।
© khwab
किसी में वो नज़र नहीं मिला अब तक,
किससे बयाँ करते हाल-ए-दिल अपना,
इसलिए ख़ुशी का नक़ाब ओढ़ा अबतक,
ज़माना है तंगदिल दूसरों के रंजोगम से क्या,
औरों को देख तड़पते मिलता है इन्हें मज़ा,
मैं भी ना बन जाऊँ सरेआम किरदार मजाकिया,
इसलिए ख़ुद से छलावा कर रही अबतक,
मेरे आँसू तन्हाई मेरी तकलीफ़ का जायज़ा कौन ले,
जिसे हमदर्द समझा कभी ज़ख्म को नासूर वही करे,
अब सीख गये हैं जीना घुटन में भी जिंदादिली से,
अपने गमों का मर्ज इसलिए बनी हुई अबतक।
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