रिश्ता
रिश्ता को समय देने से रिश्ता गहरा होने लगता है।
कल तक जो एक दूसरे से नजर
फेरा करते थे।
उनका एक दूसरे पे पहरा
होने लगता है।
गहराई इतनी की एक
दूसरे में डूब जाए।
मिलन की तड़प इतनी की कर
दे उन्हें चंद लम्हों के लिए अलग
तो अपनी सांसों से ऊब जाए ।
ये रिश्ता है जनाब बड़ी उलझी
हुई डोर है ये।
इसको समझना यानी इसके
उलझन में उलझना।
रिश्ता समझने की चीज नही
रिश्ता निभाने की चीज है।
इसलिए रिश्तों में समझदारी नहीं
वफादारी होनी चाहिए।
रिश्ता में गद्दारी अपनो से नहीं
गद्दारी अपनी खुद्दारी से होनी चाहिए।
रिश्तों में मिठास हमारी मीठी मीठी बातों से नहीं बल्कि एक दूसरे की वफादारी से होनी चाहिए।
हमारी ताल्लुकात उनके महलो
की चार दिवारी से नहीं,
उनके दिल की चार दिवारी से होनी चाहिए।
© aman 8111819@
कल तक जो एक दूसरे से नजर
फेरा करते थे।
उनका एक दूसरे पे पहरा
होने लगता है।
गहराई इतनी की एक
दूसरे में डूब जाए।
मिलन की तड़प इतनी की कर
दे उन्हें चंद लम्हों के लिए अलग
तो अपनी सांसों से ऊब जाए ।
ये रिश्ता है जनाब बड़ी उलझी
हुई डोर है ये।
इसको समझना यानी इसके
उलझन में उलझना।
रिश्ता समझने की चीज नही
रिश्ता निभाने की चीज है।
इसलिए रिश्तों में समझदारी नहीं
वफादारी होनी चाहिए।
रिश्ता में गद्दारी अपनो से नहीं
गद्दारी अपनी खुद्दारी से होनी चाहिए।
रिश्तों में मिठास हमारी मीठी मीठी बातों से नहीं बल्कि एक दूसरे की वफादारी से होनी चाहिए।
हमारी ताल्लुकात उनके महलो
की चार दिवारी से नहीं,
उनके दिल की चार दिवारी से होनी चाहिए।
© aman 8111819@