...

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मजाकिया कवि ।
अपने मज़ाक से हंसी की चहरे पर दो लकीर खींच दु,
हो सके तो किसी के जीवन में आनंद का वृक्ष सींच दु ।

मानव निर्मित नहीं है यह भावना प्रोपकार की ,
मानव निर्मित नहीं है यह भावना प्रोपकार की ,
अंदर से निकली है ये...