☘️दिसम्बर की खामोशी, जनवरी की महकती मुस्कान ☘️
दूधिया कोहरे की ओढ़े चादर,
चमक रही चाँदनी दिसम्बर की रात में,
फैली है चारों ओर खामोशी मधुर मस्त,
बह रही पवन ठिठुरे है तन बदन सर्द रात में|
पत्तो की सरसराहट,
हवाओं की फुसफुसाहट,
छिपा रही हैं रहस्य कोई,
खामोश सुनसान है गलियां भी,
दूर तलक दिखता नहीं कोई |
सो रही प्राकृतिक अजीब दास्तान है,
घबराए बेचैन मन में उठ रहे कई सवाल है,
दिसम्बर की...
चमक रही चाँदनी दिसम्बर की रात में,
फैली है चारों ओर खामोशी मधुर मस्त,
बह रही पवन ठिठुरे है तन बदन सर्द रात में|
पत्तो की सरसराहट,
हवाओं की फुसफुसाहट,
छिपा रही हैं रहस्य कोई,
खामोश सुनसान है गलियां भी,
दूर तलक दिखता नहीं कोई |
सो रही प्राकृतिक अजीब दास्तान है,
घबराए बेचैन मन में उठ रहे कई सवाल है,
दिसम्बर की...