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अर्धनारीश्वर

एक तरफ सृंगार की सरिता
एक तरफ वैराग्य प्रवल
एक तरफ है कोमल काया
एक तरफ पाषाण अचल
एक तरफ पाटली सुमन है
एक तरफ है तृणमेरु
एक प्रकृति सृजन निरंतर
एक पुरुष संहार भयंकर
है कैसा संयोग विलक्षण
शक्ति है और शिव भी तू
© eternal voice नाद ब्रह्म