गांव सा हूं !!
मैं वही गांव सा हूं !!
कहीं धूप, कहीं छांव सा हूं !!
जल्द सवेरा फिर अंधेरा,
हां मैं उसी तन्हाई सा हूं !!
न ज्यादा न थोड़ा मैं भी
बस अपनो के साथ सा हूं !!
दिखावे की रंगत या झूठी संगत?
न...
कहीं धूप, कहीं छांव सा हूं !!
जल्द सवेरा फिर अंधेरा,
हां मैं उसी तन्हाई सा हूं !!
न ज्यादा न थोड़ा मैं भी
बस अपनो के साथ सा हूं !!
दिखावे की रंगत या झूठी संगत?
न...