...

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झंकृत मन
गुलाम मेरे गीत,गुलाम मेरा चोला
गुलाम जग सारा , मरम नही जाने रे...

तुझे,
देख नही पाया,भरम रही माया
अहं मेरा बाप,लोभ मेरी छाया
गुलाम रहा राजा,गुलाम भई सेना
गुलाम मन मेरा, मरम नही जाने रे...

प्रेम,
फिरे गली–गली, जगत कहे कुत्ता
चमड़ी दमड़ी निकरी,पकड़ रखा दूजा
गुलाम मदिरालय,गुलाम रही साकी
गुलाम मद मेरा,मरम नही जाने रे...

मुझसे,
कहती है ईड़ा, कैसी है ईड़ा?
गुलाम हैं दोनो,सहती है पीड़ा
गुलाम मेरी श्वास, गुलाम अंतिम आस
गुलाम मेरा चेत , मरम नही जाने रे...

गुलाम मेरे गीत,गुलाम मेरा चोला
गुलाम जग सारा , मरम नही जाने रे...
–ध्रुव🍂
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© हरिदास