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बढ़ती तन्हाई..💔
रात के अंधेरों में जब तन्हाईयां बढ़ जाती हैं,
तुम्हारी यादें फिर मेरे दिल में शोर मचाती हैं..
रातों की खामोशी हर रोज़ नई कहानियों से,
तुम्हारी मजबूरियों की दास्तान सूनाती हैं...
शायद इन से देखी नहीं जाती खामोशी मेरी,
ये बा वफा आंखें मेरी रोज़ आंसू बहाती हैं..
दर्द चीखता चिल्लाता है तंग आकर हर रोज़,
ये यादें बिला वजह हर वक़्त शोर मचाती हैं...
हर नया दिन नई उम्मीद लाता है मिलन की,
और गुजरती शामें मेरी आस को जलाती हैं..
वो यादें और गुजरी बातें गुजशता दिनों की,
हर पल वस्ल की जुस्तजू बढ़ाती है..।।।
© Tahrim
तुम्हारी यादें फिर मेरे दिल में शोर मचाती हैं..
रातों की खामोशी हर रोज़ नई कहानियों से,
तुम्हारी मजबूरियों की दास्तान सूनाती हैं...
शायद इन से देखी नहीं जाती खामोशी मेरी,
ये बा वफा आंखें मेरी रोज़ आंसू बहाती हैं..
दर्द चीखता चिल्लाता है तंग आकर हर रोज़,
ये यादें बिला वजह हर वक़्त शोर मचाती हैं...
हर नया दिन नई उम्मीद लाता है मिलन की,
और गुजरती शामें मेरी आस को जलाती हैं..
वो यादें और गुजरी बातें गुजशता दिनों की,
हर पल वस्ल की जुस्तजू बढ़ाती है..।।।
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