नव वर्ष
नव वर्ष का प्रारंभ कुछ यू हो""
जीर्ण शीर्ण संकुचित मनोभाव ना मन मे हो,
उदगम नव वर्ष का जब हो।
प्रिय हो या अप्रिय मिलन हिर्दय से हो।
प्रफुलित मन मे पलास के पुष्प जेसी सुगंध हो।
हर्ष वर्ष भर चहरे पर एक समान हो।
जड़ चेतन मन मे नव विचार सरल सहज हो।
"""नव वर्ष का प्रारंभ कुछ यू हो ""
दारुण दुख: अप्रिय कोई घटना ना हो।
आयु दीर्घायु हो रोगग्रस्त ना आप हो।
उम्र परिय्ंत परिवार मे एका भाव हो।
मित्र गण जो रुठे हो, क्षमा याचना नी संकोच...
जीर्ण शीर्ण संकुचित मनोभाव ना मन मे हो,
उदगम नव वर्ष का जब हो।
प्रिय हो या अप्रिय मिलन हिर्दय से हो।
प्रफुलित मन मे पलास के पुष्प जेसी सुगंध हो।
हर्ष वर्ष भर चहरे पर एक समान हो।
जड़ चेतन मन मे नव विचार सरल सहज हो।
"""नव वर्ष का प्रारंभ कुछ यू हो ""
दारुण दुख: अप्रिय कोई घटना ना हो।
आयु दीर्घायु हो रोगग्रस्त ना आप हो।
उम्र परिय्ंत परिवार मे एका भाव हो।
मित्र गण जो रुठे हो, क्षमा याचना नी संकोच...