अंधेरा
दूर तलक फैला है अंधेरा
वहा रोशनी का कोई निशान नहीं है
सहमी सी बैठी है आहें
निकलने की कोई राह नहीं है
मन...
वहा रोशनी का कोई निशान नहीं है
सहमी सी बैठी है आहें
निकलने की कोई राह नहीं है
मन...