...

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जिन्दगी मुस्कुरा कर!

" K जिन्दगी मुस्कुरा कर ही कहीं कोई
प्यार ऐ परिवार के रास्तों पर
______________चल रही थी फ़किरा!
जब तक के कोई तीसरा f#@kira
जिन्दगी ऐ सहारा जैसे कोई
तक्लीफ ऐ Lift कोई बहाना बनाकर
अपना घर परिवार को छोड़ कर
हर उस राह से गुजरने वालों से फ़रिश्ते
जिनकी रंग रुप सूरत अक्सर फ़किरा
किन्नर ऐ किन्हीं उन गद्दों से मिलती हैं
मूसिबत ऐ मोहब्बत की ; आदत ऐ आग
छांव उस कड़कड़ाती धूप में कोई जहां
कोई कुंवारा बाप तो कहीं कोई कभी
मां कोई फिर से मां कोई बन जाती है
गाडियां जिनकी जिंदगी की अक्सर
किसी पवित्र देवी-देवताओं से f#@kira
सजी-धजी रहतीं हैं।
K एक दिन उनकी गाडियां अक्सर
खाली-खाली तन्हा अकेला कोई f#@kira
अपने बिछड़े प्यार ऐ परिवार के तलाश में
जैसे फिर इधर उधर; फ़किरो की तरह
______________ भटकते, रहतें- है ।


to be continue



© F#@KiRa BaBA