कई और भी है...!
मैं अकेला नहीं इस शहर में
मुझ जैसे शायर कई और भी है,
और गम नहीं गर दाद ना दो तुम मुझको
मुझे पढ़ने वाले कई और भी है।
अभी तो बस सुरुवात हुई है
इस खजाने में शेर कई और भी है
और अगर दिल से ना निकले तो वाह मत कहना,
ताली बजाने वाले कई और...
मुझ जैसे शायर कई और भी है,
और गम नहीं गर दाद ना दो तुम मुझको
मुझे पढ़ने वाले कई और भी है।
अभी तो बस सुरुवात हुई है
इस खजाने में शेर कई और भी है
और अगर दिल से ना निकले तो वाह मत कहना,
ताली बजाने वाले कई और...