...

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क्या इतनी भी गुंजाइश नहीं अब
क्या इतनी भी गुंजाइश नहीं अब इस रिश्ते में की हम फिर से पहले की तरह साथ मुस्कुरा सके|
क्या इतनी भी गुंजाइश नहीं अब इस रिश्ते में की मैं फिर से तुम्हे अपना कह सकू|
क्या इतनी भी गुंजाइश नहीं अब इस रिश्ते में की मैं फिर से तुम्हारी साँसों को महसूस कर सकू|
क्या इतनी भी गुंजाइश नहीं अब इस रिश्ते में की मैं फिर से तुम्हारी धड़कनों को सुन सकू|
क्या इतनी भी गुंजाइश नहीं अब इस रिश्ते में की हम से कभी एक हो सके|
© _Just - kirti ☺☺☺