...

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क्या क्या तजुर्बा फ़िज़ूल करता हूं
हर बार मैं बस यही भूल करता हूँ
इल्तिज़ा इश्क़ की क़ुबूल करता हूँ.........!

सहम जाते हैं वो ख़्वाब सारे
मुस्तकबिल जिनका यूँ धूल करता हूँ......!

ख़ामोश रहता हूँ अब बुत की तरह
क्या...