...

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फर्क
फर्क हमें पढ़ता है उन्हें नहीं
दुखी हम होते हे वो नहीं |

दिल हमारे में है लेकिन उनमें जान नहीं,
वो तो एक सख्म थे जो आकर दे गये हमें,
महसूस भी हम करते हैं, दर्द भी हमें होता है,
और उन्हें इस बात की चिंता भी नहीं |

हमें हमसे छीन कर चले गए,
और हम खुदको ही ढूंढने लग गए |

पागल थे हम जो अपनी गलती ना मान पाए,
गलत भी हम ही थे जो उन्हें ना पहचान पाए |

© Parth vyas