...

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मौत
किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा है.......

ज़िन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास ना बैठा, आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे.....
कोई तोहफा ना मिला आज तक,
और आज फूल ही फूल दिये जा रहे थे.......
तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये,और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे......
दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई, और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे......
आज पता चला कि मौत कितनी हसीन होती है, कमबख्त हम तो यूँ ही ज़िन्दगी जीये जा रहे थे.....!!!!!!