...

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वो ईश्वर भाव खाता है
वो ईश्वर भाव खाता है, उसे बस भाव भाता है,
जो भक्ति भाव से हो तो, वो हर आभाव खाता है।

त्यागकर भोग महलों के, साग बड़े चाव खाता है
हृदय जिसके बसे उसके, मन का बिखराव खाता है।

कठिन अवरोधों से तेरे, अवगुणों को मिटाता...