कहीं गुम सा गया हूँ
खुद में ही कहीं गुम सा गया हूँ,
ना जाने ये दर्द कब से सह रहा हूँ।
अपनों के बीच कहीं पराया सा हो गया हूँ,
कि नम आँखों से वो अपना चेहरा नहीं देख पा रहा हूँ।
दिल...
ना जाने ये दर्द कब से सह रहा हूँ।
अपनों के बीच कहीं पराया सा हो गया हूँ,
कि नम आँखों से वो अपना चेहरा नहीं देख पा रहा हूँ।
दिल...