बेबुनियादी ख़्वाब
बईमान लब्ज़ सारे
बेबुनियादी है ख़्वाब अपने
ताश के पत्तों की है ये ईमारत
खुली नज़रों से है जो बुना,
इन्हीं पलों में तो बस सिमटी है जिंदगी...
बेबुनियादी है ख़्वाब अपने
ताश के पत्तों की है ये ईमारत
खुली नज़रों से है जो बुना,
इन्हीं पलों में तो बस सिमटी है जिंदगी...