...

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लड़की
कितनी मासूमियत से बोलती ह लड़की,
इश्क-विश्क ओर प्यार-व्यार कुछ नही होता है,
आओ मेरे कन्धे पर सर रखकर जी भरकर रोलो लड़की,
हम भी कभी इश्क के सताए हुए लोग हैं।
देखो मेरी बात मानो लड़की,
छोड़ दो, ये जिद छोड़ दो,
अपना ये अतीत छोड़ दो,
आंखों में समंदर भरना छोड़ दो,
अपने आंखों के ख्वाब बेचना छोड़ दो लड़की।
तुम तो दिल से बड़ी हो लड़की,
आंखों से गिर कर फिर दिल से गिरने वाले लोग,
ओर इससे नीचे क्या गिरेंगे लोग।
अगर जिन मुहाल हो रहा है,
जिस्म के पिंजरे से खुद को आजाद कर लो लड़की,
यह बाबुल का घर नही,
किराए की सराय है,
एक दिन वैसे भी छोड़नी है।
किसी के जाने का इतना दुःख मत बना लडक़ी,
एक दिन वो भी साथ छोड़ देते ह जो उम्र भर साथ चलने की कसमें खाते हैं।
तुमने तो खुद को उतार तो लिया गमो के समंदर में,
गमो के दरिया में डूब जाती है अच्छी अच्छी कस्तिया,
तुम तो कागज़ी कस्ती हो लड़की।
ओ लड़की तुम किसी की दुल्हन बनो या न बनोगी तुम,
बडी खुशकिस्मत वाली हो लड़की तुम,
मेरी गज़लों की शायरी बनोगी तुम लड़की।
© Verma Sahab