...

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अधूरी आशिकी
इजहार करता है मगर बेइंतेहा प्यार नहीं
आदत हूं मैं मगर बेलगाम नहीं
इश्क है मगर बेपनाह नहीं
इबादत करता है मगर चाहत नहीं
समय देता है मगर हर दिन नहीं
पागलपन है मगर पाने की नहीं
ख्वाहिश हूं मैं मगर एकलौती नहीं
देखकर मुस्कुराता है मगर मैं उसकी खुशी नहीं
साथ है मगर मेरा साथी नही
समझदार है मगर मुझे समझता नहीं
मानता है मगर मेरी ख्वाहिशों को जानता नहीं
नाम है उसका पर मेरे लिए बदनाम नहीं
आशिक है मगर आशिकी उसका काम नहीं




© Smriti Tiwari