...

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एक उम्मीद
कि मात पे मात राहों पर हम खाएँ जा रहें है,
इन मुश्किलों को आसाँ हम बताएँ जा रहें है।

कोई भी कसर ना छोड़ी क़िस्मत ने रुलाने में,
फ़िर भी हर हालात में हम मुस्कुराएँ जा रहें है।

अपनों ने ही ठगा है मुझे क़दम...