बिखरा हुआ था मैं
बिखरा हुआ था मैं, मंजिलें भी कहीं गुम थीं
जब खुद को संभाला मैंने, तो सब साफ दिख गया
अब कदमों में हैं मजिलें मेरी, अब आसमान की सैर पर हूं
ऐ जिंदगी बहुत कोशिश की थी ना, मुझे डुबाने की
ले देख अब देख कहां हूंं मैं
© ~Rohi
जब खुद को संभाला मैंने, तो सब साफ दिख गया
अब कदमों में हैं मजिलें मेरी, अब आसमान की सैर पर हूं
ऐ जिंदगी बहुत कोशिश की थी ना, मुझे डुबाने की
ले देख अब देख कहां हूंं मैं
© ~Rohi
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