एक तरफ आप एक तरफ वह है बीच में उम्मीदों का एक लफ्ज़ है
एक तरफ आप एक तरफ वह है
बीच में उम्मीदों का एक लफ्ज़ है
जिसे बोलने से किसी का दिल टूटेगा
एक से नाता जुड़ेगा तो दूसरे से टूटेगा।।
तो भला क्या बोलूं समझ नहीं आता है
बोलने से पहले ज्वान घबराता है
इधर-उधर कुछ भी नहीं नजर आता है
जीरो वाट का बल्ब सा टिमटिमाने मस्तिष्क लगता है।।
कहां आकर फस गया यह सोचने लग जाते है
दो धारी तलवार से सिना छली छल्ली हो जाते है
ऐसी स्थिति में बड़ा मुश्किल होता है कुछ भी कहना
भगवान भरोसे अब आगे से रहना।।
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar