कल का छिपता सूरज
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कल का छिपता सूरज,
साक्षी है, उनके अरमानों का।
मुट्ठी भर अपनी दौलत से,
ताकते मुंह दुकानों का।
फटी सिक्कों की पोटली में,
झिझक ही...
कल का छिपता सूरज,
साक्षी है, उनके अरमानों का।
मुट्ठी भर अपनी दौलत से,
ताकते मुंह दुकानों का।
फटी सिक्कों की पोटली में,
झिझक ही...