...

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ज़ख़्म
मशहूर तबिबो को भी मेरे ज़ख्मों ने हैरान कर दिया है,
सुलझी ही नहीं कड़ियां ज़िन्दगी ने परेशान कर दिया है,

सितारों के झुरमुट से लेकर एक मुश्त ख़ाक़ तलक,
वजूद को तल्ख लहेजो ने जीते जी शमशान कर दिया है

जिस मकान में बस्ती थी किलकारियां हमारी शरारतों की,
धमाकों कि जद ने इसे देखो अभी अभी वीरान कर दिया है

सहरा की तपिश भी अदना है मेरे रकीबो के आगे,
मुस्कुराते फूलों को उन्होंने गमों का गुलिस्तां कर दिया है,
© Noor_313