प्रेम रूपी स्वपन
मिलों तो निंदिया में मिलना
आंखे निहारती है मुरलीधर
मिलों तो कुंज गालियों में मिलना
सुना प़डा है जो यशोदा का घर
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आंखे निहारती है मुरलीधर
मिलों तो कुंज गालियों में मिलना
सुना प़डा है जो यशोदा का घर
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